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The Rathore Saab

'मौत तू एक कविता है' गुलज़ार साहब की ये पंक्तियाँ युवा-कवि 'चन्दन राठौड़'(उदयपुर राज.) के परिचय को एक छोर से छूती और दूसरे से बाँधती हैं. उनका जन्म चित्तौड़गढ़ के बैगूँ कस्बे में 20 जून 1990 को हुआ था | आपने अपने विघालयीन दिनों के गौमुख से काव्यधारा का प्रवाह आरम्भ किया, राजपुत रक्त को कविता-प्रेम हुआ तो जीवन को नया दर्शन मिला और मृत्यु जैसे विषय पर भी लिखने का साहस सहज हो गया | वियोग के विषय पर कलम चली तो कविनाम 'वैराग्य' हो गया | 350 से भी अधिक रचनाओं का सृजन कर चुके चन्दन राठौड़ न सिर्फ कविहृदय हैं वरन 'कन्या भ्रुण-हत्या' के विरोध में भी सक्रिय हैं और इस विषय पर 3 नाटक भी लिख चुके हैं | हाल ही में उनके द्वारा एक टेलीविज़न कथा (टीवी सीरियल) को लिखने का अवसर प्राप्त हुआ | पिता पर लिखी वह कथा पिता की जिमेदारियों को बखूबी बया करती है |


    • कवितायें - 350 (काव्य सुमन, मौत-ऐ-कहानी, विदाई शिक्षा, नारी के रूप)
    • हिंदी गीत - 15 (पिया रो संदेशो ..., मत कर अभिमान रे बंधे..)
    • नाटक - 3 (कन्या भ्रूण हत्या पर)
    • कथा - 2 (दो बैल, पिता एक पाठ)
    • हिंदी फिल्म स्टोरी - 3 (सिंहनी, मेरी कहानी मेरी जुबानी, लव स्टोरी)
    • पठ कथा - 4 (फ्रेशर पार्टी, कन्या भ्रूण हत्या नाटक आदि)
    • हास्य पठ कथा - 1 (सफाई अभियान पे)
    • टेलीविज़न कथा - 1 (पिता एक पाठ)

और बहुत सारी मेरी भावनायें आप के लिए ....

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